पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में नेताओं के दल-बदल का सिलसिला शुरू हो गया है. विधानसभा चुनाव से पहले राजद को झटका लगने की ख़बर है. राजद के क़द्दावर मुस्लिम नेता रहे अली अशरफ़ फ़ातमी ने नीतीश कुमार की जदयू का हाथ थामा है. फ़ातमी सीमांचल के बड़े अल्पसंख्यक नेता माने जाते हैं। गत लोकसभा चुनाव में मधुबनी से टिकट नहीं मिलने पर वे बाग़ी हो गए थे। तब पार्टी की कमान संभाल रहे तेजस्वी यादव को लेकर उन्होंने कहा था कि तेजस्वी की उम्र से अधिक तो उनकी राजनीतिक उम्र है।
उल्लेखनीय है कि अली अशरफ फातमी ने गत लोकसभा चुनाव से पहले राजद के विरोध में आवाज बुलंद की थी। राजद से लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने मधुबनी से बहुजन समाज पार्टी (BSP) के टिकट पर नामांकन दाखिल किया था। हालांकि, बाद में वे कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूदे शकील अहमद के पक्ष में मैदान से हट गए थे। इस बागावत के कारण आरजेडी ने कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया।
अली अशरफ फातमी सीमांचल के कद्दावर नेता हैं। वे सीमांचल में आरजेडी की रीढ़ माने जाते थे। फातमी दरभंगा से कई बार सांसद रहे थे। दरभंगा से जब पत्ता कटा तो उन्होंने मधुबनी सीट से दावेदारी ठोंकी। लेकिन यह सीट महागठबंधन में विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के खाते में गई। इससे फातमी नाराज हो गए। इस दौरान फातमी ने आरजेडी के विरोध में आवाज बुलंद की थी।
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में पार्टी की कमान संभाले तेजस्वी यादव के खिलाफ उन्होंने कहा था कि उनकी जितनी उम्र है उससे अधिक समय वे राजनीति कर रहे हैं। फातमी ने कहा था कि आरजेडी में उन जैसे नेताओं की पूछ नहीं रही। फातमी ने मधुबनी लोकसभा क्षेत्र से बीएसपी के टिकट पर नामांकन दाखिल किया। हालांकि, बाद में वे कांग्रस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे शकील अहमद के पक्ष में चुनाव मैदान से हट गए।
अब अली अशरफ फातमी ने जेडीयू में शामिल होने की घोषणा की है। रविवार को उन्होंने दरभंगा में कहा कि वे कम से कम एक लाख कार्यकर्ताओं के साथ नवंबर में जेडीयू की सदस्यता लेंगे। जेडीयू में उनकी भूमिका क्या होगी, इस बाबत उन्होंने कुछ भी नहीं बताया। कहा कि यह पार्टी तय करेगी।