बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना को लेकर राजद ने कुछ आरोप चुनाव आयोग पर लगाये हैं. राजद का दावा है कि चुनाव आयोग ने कुछ सीटों पर NDA को जितवाया. तेजस्वी यादव ने कहा कि जहाँ अंतर कम वोटों का था, वहां पोस्टल बैलेट को रद्द करके जीत NDA के उम्मीदवारों के खाते में डाल दी गई. महागठबंधन इस सवाल को गंभीरता से उठा रहा है, इस बीच भोरे विधानसभा क्षेत्र को लेकर एक मामला सामने आ रहा है.
यहाँ महागठबंधन की सहयोगी पार्टी भाकपा (माले) ने आरोप लगाया है कि मतगणना के दौरान डीएम हॉल में जदयू सांसद उपस्थित थे जोकि नियम का उल्लंघन है. बिहार के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने गोपालगंज के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम से मतगणना हॉल में जदयू सांसद के उपस्थित रहने के मामले में डीएम से सीसीटीवी फुटेज व वीडियो कैमरे की रिकार्डिंग तलब की है। ये साक्ष्य 12 नवम्बर तक मांगे गए हैं।
भाकपा माले ने शिकायत दर्ज कराई है कि भोरे विधानसभा क्षेत्र की मतगणना के दौरान स्थानीय जदयू सांसद डॉ. आलोक कुमार सुमन को काउंटिंग हॉल में उपस्थित होने का आरोप लगाया था। आवेदन के मुताबिक़ सांसद काउंटिंग हॉल में घुसे थे। यह कैंडिडेट हैंडबुक के क्लाउज 16.9 का उल्लंघन है। यह सीट पर रिकाउंटिंग के लिए एक पुख्ता आधार भी है। मामले में जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बालामुरूगन डी ने डीएम सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी अरशद अजीज से उक्त साक्ष्य मांगे हैं।
सांसद आलोक कुमार सुमन ने अपने बचाव में कहा है कि वे जनता के चुने गए एक जन प्रतिनिधि हैं। वो सांसद के पद पर आसीन हैं। जिसकी एक गरिमा होती है। उन्हें पता है की किसी भी मतगणना स्थल पर एक जनप्रतिनिधि के जाने की इजाजत नहीं होती है। इसलिए उनके मतगणना हॉल में जाने का कोई सवाल ही नहीं है। वहां सीसीटीवी लगे हुए थे। निर्वाचन आयोग इन सीसीटीवी फुटेज की जांच करे। बेबुनियाद आरोप लगाने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
आपको बता दें कि यहाँ काँटे की टक्कर हुई थी और भाकपा माले प्रत्याशी महज़ 462 वोटों से हार गया. यहाँ जदयू के सुनील कुमार ने जीत हासिल की. दोनों उम्मीदवारों में मार्जिन इतना कम है कि अगर ज़रा भी बात इधर उधर की हो तो कोई जीत जाए. जदयू उम्मीदवार को कुल 40.50 प्रतिशत यानि 74067 मत मिले। जबकि इनके निकटतम प्रतिद्वंदी माले उम्मीदवार को 40.25 प्रतिशत यानि 73605 मत मिले।