लोकसभा चुनाव को लेकर हम अक्सर आपको महत्वपूर्ण जानकारी देते रहते हैं.इस पोस्ट में भी हम एक महत्वपूर्ण सीट के बारे में आपको जानकारी देंगे. हम आज कांग्रेस के एक ऐसे नेता के बारे में बात करने जा रहे हैं जो २००२ के दं-गों में दं-गाईयों के हाथों मौ-त के घाट उतार दिया गया. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं स्वर्गवासी सांसद एहसान जाफ़री की. जाफ़री अहमदाबाद सीट से सांसद रहे थे.
अहमदाबाद सीट एक समय गुजरात की महत्वपूर्ण सीट थी लेकिन परिसीमन के बाद अब ये सीट जाती रही. इस सीट का महत्त्व इस वजह से है क्यूंकि यहाँ से कांग्रेस नेता अहसान जाफ़री सांसद रहे थे. 2002 में हुए गुजरात दं-गों में एहसान लोगों की जान बचाने के लिए दं-गाईयों से बातचीत करने गए थे लेकिन उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया. उनके गुनाहगारों को अभी तक सज़ा नहीं मिल पायी है.
एहसान जाफ़री कांग्रेस के उन कुछ नेताओं में से थे जो आपातकाल के बाद हुए चुनाव में भी जीतने में कामयाब हुए थे. उन्होंने 1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे जनता पार्टी के प्रत्याशी ब्रह्मकुमार भट्ट को 10 हज़ार से कुछ अधिक वोट से हराया था. 1977 के चुनाव में जीत का महत्त्व इसलिए अधिक है क्यूंकि तब इंदिरा गाँधी और संजय गाँधी भी अपनी सीट से चुनाव हार गए थे.
जाफ़री का जन्म सन 1929 को मध्य-प्रदेश के बुरहानपुर में हुआ था. उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल की और वकील हो गए. उन्हें शा’इरी का भी शौक़ था. 28 फ़रवरी 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी पर दंगाई ने हमला कर दिया जिसमें उनकी बेरहमी से हत्-या कर दी गयी. जाफ़री को आज भी उनके व्यक्तित्व और साफ़ छवि के लिए जाना जाता है.