विज्ञान भवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सर संघचालक मोहन भागवत की 3 दिन की व्याख्यान माला में उन्होंने देश के मुसलमानों को साफ मैसेज दिया था कि ‘हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना बिना मुसलमानों के नहीं हो सकती’। संघ हिंदुस्तान में रहने वाले ‘सभी लोगों को हिंदू मानता है चाहे उनकी पूजा पद्धति कोई भी हो’।
अब इस कड़ी में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए, संघ ने ‘भविष्य का भारत’ पुस्तक को उर्दू में भी प्रकाशित करने का निर्णय लिया है जिससे देश के मुसलमानों को उनकी भाषा में ही संघ के विचारों के बारे में समझाया जा सके। साथ ही, संघ भविष्य के भारत में मुसलमानों की क्या भूमिका देखता है, इस पर स्थिति स्पष्ट हो सके। आरएसएस के नेता राजीव तुली ने कहा- “भविष्य का भारत नाम की ये पुस्तक हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, पंजाबी, कन्नड़ सहित कई भाषाओं में आ चुकी है।
देश के बड़े अल्पसंख्यक वर्ग तक संघ की सोच पहुंचाने के लिए अब इस पुस्तक का उर्दू में अनुवाद कराने का निर्णय किया गया है। हम ऐसा मानते हैं कि उर्दू केवल मुसलमानों की भाषा नहीं, देश की भाषा है इसलिए देश के बाकी लोगों का इस पर उतना ही अधिकार है।”उन्होंने आगे कहा कि “मुसलमानों की बड़ी आबादी केवल उर्दू समझता है इसलिए ये किताब उनके लिए है। जो जिस भाषा में बातें समझता है, हमारी कोशिश उन्हें उसी भाषा में समझाने की है।”
बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सह सर कार्यवाह कृष्ण गोपाल की उपस्थिति में उर्दू रूपांतरण का लोकार्पण किया जाएगा। अल्पसंख्यक समुदाय को उनकी ही भाषा में संघ की सोच को पहुंचाने के लिए ये एक नई पहल की जा रही है।