नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक और NRC को लेकर केंद्र सरकार घिरी हुई नज़र आ रही है. गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस विषय में ख़ासी आलोचना हुई है. परन्तु आज अमित शाह ने एक इंटरव्यू में ऐसे संकेत दिए हैं कि सरकार अपने कड़े रुख को नर्म करने में लगी है. गृह मंत्री अमित शाह ने NRC पर अपने पुराने रुख़ से पलटते हुए कहा कि सरकार अभी इस पर विचार नहीं कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद लोग ये सवाल करने लगे कि जब ख़ुद गृह मंत्री अमित शाह ही इतनी बार NRC की बात कर चुके हैं तो अब मोदी ऐसा क्यूँ कह रहे हैं कि NRC पर कोई चर्चा नहीं हुई है. आज इसको लेकर गृह मंत्री ने एक समाचार एजेंसी को इंटरव्यू दिया. उन्होंने इस इंटरव्यू में कहा कि नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न और नेशनल पापुलेशन रजिस्टर में कोई स’म्बन्ध नहीं है. शाह ने कहा कि पैन इंडिया NRC पर बात करने की ज़रूरत नहीं है..जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि इस पर कोई डिस्कशन नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि इस विषय में कैबिनेट या संसद कहीं भी कोई चर्चा नहीं हुई है. साथ ही गृह मंत्री ने उन रिपोर्ट्स पर भी टिपण्णी की जिनमें कहा गया है कि केरल और पश्चिम बंगाल में एनपीआर नहीं होगा. उन्होंने कहा कि मैं दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री से विनती करता हूँ कि ऐसा क़दम न उठायें और पहले रिव्यु कर लें..
अमित शाह के इस इंटरव्यू में वो पुराने तेवर में नज़र नहीं आये. वो पिछले कई इंटरव्यू में, यहाँ तक की नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर संसदीय चर्चा में भी शाह ने कहा था कि मान कर चलिए NRC आने जा रहा है. ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार को इस तरह के विरोध की उम्मीद जनता की और से नहीं रही होगी. इसका कारण ये माना जा रहा है कि सरकार ने पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे फ़ैसले लिए थे जिन पर लग रहा था कि विरोध हो सकता है, पर नहीं हुआ.
ANI को दिए इंटरव्यू में उन्होंने माना कि कहीं न कहीं सरकार CAA को लेकर जनता के सामने अपना पक्ष नहीं रख सकी. उन्होंने कहा,”कुछ तो ख़ामी रही होगी..मुझे स्वीकार करने में दिक्क़त नहीं है मगर पार्लियामेंट का मेरा भाषण देख लीजिये, उसमें मैंने सब स्पष्ट किया है कि इस से किसी भी माइनॉरिटी की नागरिकता जाने का सवाल नहीं है.