मुंबई: कहते हैं कि सत्ता जब तक होती है तब तक आपके विरोधी भी आपके ख़िलाफ़ कुछ बोलने से बचते हैं लेकिन सत्ता जाती है तो आपके साथी भी आपके ख़िलाफ़ हो जाते हैं.कुछ इसी तरह का हाल हुआ है महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी का, हालाँकि हम अभी जिस नेत्री की बात करने जा रहे हैं उन्हें साथी माना जाए या विरोधी, ये तय करना मुश्किल है. महाराष्ट्र भाजपा की बड़ी नेत्री पंकजा मुंडे और पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेन्द्र फडनवीस के बीच सियासी टकराव से सभी लोग वाक़िफ़ हैं लेकिन अब ये मतभेद खुल कर सामने आ रहे हैं.
मुंडे अपने गढ़ परली से विधानसभा चुनाव लड़ी थीं लेकिन उन्हें उनके चचेरे भाई धनञ्जय मुंडे ने हरा दिया था. धनञ्जय एनसीपी के टिकट पर चुनाव में उतरे थे लेकिन उनके बारे में माना जाता है कि वो फडनवीस के क़रीबी हैं और उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए फडनवीस ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया था. अब उन्होंने एक फ़ेसबुक पोस्ट लिखकर हलचल मचा दी है.
उन्होंने इस पोस्ट में ऐसे संकेत दिए हैं कि वह चुप नहीं रहेंगी? ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वह देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ अपना गुस्सा खुलकर जाहिर करेंगी? पंकजा पार्टी के बड़े नेताओं को पहले ही ये बात बता चुकी हैं कि वो हारी नहीं हैं बल्कि उन्हें चुनाव हरवाया गया है.सूत्रों के मुताबिक़ पंकजा ने ऐसी कई बातें वरिष्ठ नेताओं को सबूत के साथ बताई हैं कि किस तरह उन्हें चुनाव हरवाने के लिए काम किया गया.
महाराष्ट्र में भाजपा की सत्ता जाते ही उसके कई वरिष्ठ नेताओं के ख़िलाफ़ अब आवाज़ उठ रही है. पंकजा मुंडे ने पिता गोपीनाथ मुंडे की जन्मदिन के मौके पर 12 दिसंबर को समर्थकों की बैठक बुलाई है. उन्होंने कहा कि वे 8-10 दिन में बड़ा फैसला लेंगी. पंकजा मुंडे ने पोस्ट में लिखा है, चुनाव में हार के बाद समर्थकों के कई फोन-मैसेज आए और मिलने का आग्रह किया गया लेकिन राजनीतिक स्थिति ऐसी रही कि समर्थकों से मिलना नहीं हो सका. परली में धनंजय मुंडे को 121186 वोट मिले तो वहीं पंकजा मुंडे को मात्र 90418 वोट हासिल हुए थे.
फेसबुक पोस्ट में पंकजा मुंडे लिखती हैं कि बदले राजनीतिक परिदृश्य में भावी कार्रवाई पर निर्णय लिया जाना ज़रूरी है. अगले 8-10 दिन में तय करूंगी कि आगे क्या करना है, किस रास्ते पर मुझे चलना है. हमारी मजबूती क्या है, इस पर ध्यान देना जरूरी है. पंकजा मुंडे ने कहा, मुझे बहुत कुछ बोलना है. मुझे उम्मीद है कि मेरे ‘जवान’ रैली में ज़रूर पहुंचेंगे.