उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सर’कार है जो इन दिनों ना’राज़ हैं अधिकारियों से। ये तो सभी जानते हैं कि कोई भी सर’कार सिर्फ़ नियम- क़ानून के बिल पास करवा सकती हैं लेकिन उन नियमों को जनता के बीच लागू करने की ज़िम्मे’दारी होती है अधिकारियों की। सरकार की ये शिका’यत आम है कि अधिकारियों के कारण जनता तक सर’कार द्वारा किए जा रहे काम नहीं पहुँच पाते और जनता को लगता है कि सर’कार उनके लिए कोई काम नहीं कर रही है।
यहाँ ये बताते चलें कि योगी आदित्यनाथ की सर’कार ने जनता के लिए लागू कई नियमों के जनता के बीच न पहुँचने के लिए अधिकारियों को डाँट पिलायी है। उनका कहना है कि अधिकारी सरकार द्वारा जनता के लिए किए जा रहे कार्यों को उन तक पहुँचाने में कोई सहयोग नहीं कर रहे हैं जबकि ये ही उनका काम है। विकास की कई यो’जनाएँ बिल पास होने से लागू तो हो गयी हैं लेकिन अधिकारियों के ग़ै’रज़िम्मे’दाराना रवैये के कारण ज़’मीनी स्तर पर पहुँच ही नहीं पा रही हैं।

ऐसा नहीं है कि ये परे’शानी सिर्फ़ योगी आदित्यनाथ सर’कार को ही झे’लनी पड़ रही है। पिछली सरकारें भी अधिकारियों के इन रवैयों से ना’राज़ रहे हैं और लगातार इस मामले में उन्हें चे’ताते रहे हैं फिर वो चाहे अखिलेश यादव की सर’कार रही हो या मायावती की सर’कार, ये परेशा’नियाँ उनके सामने भी आती रही हैं। शायद इसका कार’ण है कि सरकार भले ही हर पाँच साल में बदलती रहती हैं लेकिन नौक’रशाही क़ायम है और साथ ही क़ायम हैं उनके काम करने का तरीक़ा भी।